Friday 4 June 2010

तमन्नाओं के बादल

तमन्नाओं के बादल में फ़ंसे हैं हम , हवस में मूंद कर आंखें पड़े हैं हम।
ठ्हरता ही नहीं दिल में वफ़ा का जल,दग़ाबाज़ी के चिकने हां घड़े हैं हम।
नहीं हसिल है मेहनत की दुवा हमको ,बिना पुख्ता इरादों के चले हैं हम।
बिना पतवार कश्ती है समन्दर में , मुकद्दर पे भरोसा कर रहे हैं हम ।
न जाने मात्र-भाषा के अदब को हम,विदेशी स्कूलों में मानों पढे हैं हम।
गो रावण की गली मे हम नहीं रहते,मगर कब राम के रस्ते चले हैं हम ।
उजालों का सफ़र तुमको मुबारक़ हो ,अंधेरों के मुसाफ़िर बन चुके हैं हम।
हवाओं से लड़ाई है चरागों की ,हसीनों की ज़मानत ले रहे हैं हम ।
शराबी दिल हमेशा क्यूं बहकता है,कि मौका-ए-विजय को चूकते हैं हम।
2 सेकंड पहले · प्रविष्टि संपादित करें · Delete Post

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