Monday 7 June 2010

मेरी दिशा

दिशाओं से मेरी दिशा पूछ लेना , सितारों से मेरा पता पूछ लेना ।
सफ़र मे अंधेरों का ही है सहारा , उजालों का सर क्यूं फ़िरा पूछ लेना ।
मैं तेरे लिये जान दे सकता भी हूं , मगर दिल में मेरी जगह पूछ लेना।
ज़मीं जाह ज़र की इनायत है लेकिन , सुकूं मुझसे क्यूं है खफ़ा पूछ लेना।
अदावत,बग़ावत, खयानत,सियासत , से इंसानों को क्या मिला पूछ लेना।
चराग़ों की तहज़ीब भाती है मुझको , हवाओं का तुम फ़ैसला पूछ लेना।
अभी न्याय की बस्ती मे मेरा घर है , ग़ुनाहों का दिल क्यूं दुखा पूछ लेना।
फ़लक को झुकाने की कोशिश थी मेरी , फ़लक खुद ही क्यूं झुक गया पूछ लेना ।
समन्दर से मुझको मुहब्बत है दानी, किनारों का तुम फ़लसफ़ा पूछ लेना।

फ़लक=गगन, जाह=सम्मान, ज़र=धन,अदावत=दुशमनी,।

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