प्यार
प्यार बस प्यार है दोस्तों , ज़ीस्त का सार है दोस्तों।
चांदनी बेवफ़ा है अगर , चांद की हार है दोस्तों ।
मुल्क मे मूर्खों का राज गर, ग्यान बेकार है दोस्तों।
इश्क़ के हाट मे सुख नहीं, गम का बाज़ार है दोस्तों।
मेरे मन की ये गलती नहीं,दिल गुनहगार है दोस्तों।
दोस्त हूं लहरों का,साहिलों को नमस्कार है दोस्तों ।
फ़िर शहादत पतन्गों की क्यूं,शमा गद्दार है दोस्तों।
हुस्न की चाकरी क्यूं करूं ,इश्क़ खुद्दार है दोस्तों।
गर कहे लैला जां दे दो,तो मज़नू तैयार है दोस्तों।
प्यार मजबूरी है दिल की,हम सब समझदार हैं दोस्तों।
Thursday 20 May 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment