तसव्वुर मे जीना ही ज़िन्दगानी है , तमन्नाओं के सहारे रवानी है।
मुक़द्दर मे क्या लिखा कैसे जाने हम, मुसलसल कोशिश सफ़लता की बानी है।
पहाडों सी, खुशियां हासिल हुई है पर , ग़मों की तक़दीर भी आसमानी है ।
समन्दर स्र मेरा मजबूत है रिश्ता , किनारों पर बेबसी की कहानी है ।
चरागों को सर पे रख के मैं चलता हूं, हवाओं को अपनी ताक़त दिखानी है।
हसीनों का साथ पाना है मुझको तो, ग़ुलामों सी अपनी सीरत बनानी है।
मुहब्बत की मुश्किलें जानता हूं मैं , वफ़ायें ता-उम्र दानी निभानी है ।
Thursday 27 May 2010
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